पहली बार वà¥à¤¹à¤¿à¤¸à¥à¤•à¥€ उठा कर होठों तक लायी थी तो वही वनगंध साà¤à¤¸à¥‹à¤‚ में à¤à¤° गयी थी. जबां पर सिंगल मालà¥à¤Ÿ का पहला सà¥à¤µà¤¾à¤¦ पहली बार चूमने की तरह था, अतà¥à¤²à¤¨à¥€à¤¯. याद का दहकता जंगल मà¥à¤à¥‡ अपने आगोश में à¤à¤° रहा था, हौले हौले, शायद वो अपनी बाहें कस कर मà¥à¤à¥‡ तोड़ डालता. यक़ीनन, मà¥à¤à¥‡ अफ़सोस न होता. पैरों के पास कोई खà¥à¤¶à¤¬à¥‚दार बेल उग रही थी और महसूस हो रहा था कि हर छोटे सिप के साथ मैं दारà¥à¤œà¤²à¤¿à¤‚ग का वही जंगल होती जा रही हूठकि जिसके बादलों में à¤à¥€à¤—े तने पर कोई अजनबी अपने होठरखने की हसरत लिठहर साल लौट आना चाहेगा. चाहने और लौट आने के बीच उलà¤à¤¾ हà¥à¤† शामें सिंगल मालà¥à¤Ÿ में डà¥à¤¬à¥‹ कर आग लगाता रहेगा.