रेखा में कोई कमी नहीं थी फिर भी विवाह में देरी हो रही थी । कहीं जन्मकुंडली मेल नहीं खाती। कभी लड़के वाले आकर लड़की देख जाते फिर कोई जवाब नहीं देते । कुछ लोग दहेज की प्रत्यक्ष या परोक्ष ऐसी मांग या शर्त रख देते जो पूर्ण करना हरीलाल के बश में न होता और उन्हें खुद ही पीछे हटना पड़ता । माँ बाप को अपने विवाह के लिये परेशान देखकर और लड़के वालों के नखरे देख कर रेखा भी खिन्न थी और उसके स्वभाव में भी थोड़ी चिड़चिड़ाहट आ गयी थी ...

Ravi Ranjan Goswami